जब से देखा है तुमको
जब से देखा है तुम को,
दिल में कुछ होने लगा है।
कैसे समझाऊं मैं इसको,
ये तुम पर आने लगा है।।
बात इतनी सी नही रही है,
मेरी हद से निकल गया है।
रहा नही अब मेरे काबू में,
मेरे हाथो से निकल गया है।।
करने लगा है ये नई हरकते,
अब तो रात में जगने लगा है।
सोने नही देता है ये मुझको,
दिन में ख्वाब देखने लगा है।।
परेशान होकर मैं अब इससे,
दिल के डाक्टर को दिखाया है।
देखकर बोला वह भी मुझसे,
यह मेरे काबू में भी न आया है।।
करूं तो करू अब क्या करूं,
इसके लिए मै क्या क्या करूं।
भरता नही है पेट अब इसका,
किस किस से कब तक मै डरूं।।
मुश्किल में जान पड़ी है मेरी,
सुनता नही कुछ ये अब मेरी।
जान के लाले पड़ गए है मेरे,
पड़ी मुश्किल में घड़ी है मेरी।।
कहता है रस्तोगी अब सबको,
दिल देना नही तुम किसी को।
दिल देने का बाद ये दिल तो,
मिला नही वापिस किसी को।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम