जब लाद चलेगा बंजारा
बहुत जल्द दुनिया के
मेले उठ जाएंगे!
आखिरकार हम लोग
अकेले छूट जाएंगे!
खाली हाथ ही सबको
जाना है सफ़र में!
लाख पहरों के बाद भी
राही लुट जाएंगे!
हमपे पड़ेगी एक ऐसी
वक़्त की लाठी
कि हमारे सारे के सारे
घमंड टूट जाएंगे!
जिनके भीतर बसती है
आज हमारी जान
वे हमेशा-हमेशा के लिए
हमसे रूठ जाएंगे!
Shekhar Chandra Mitra
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