मेरा लेख
जब मैं लिखने बैठी
अंधेरी रात से सुनहरी सुबह हो गई
काली स्याही से लिखे अक्षरों को पाठकों ने सूर्य की ललक में प्रकाशित कर दिया।।
आज जब मैं उनको पढ़ने बैठी –
शायद मैं उन सुनहरे अक्षरों की आखिरी पाठक हूं
क्योंकि वो अक्षर हर किसी के द्वारा हजारों बार पढ़े जा चुके हैं