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7 Aug 2024 · 1 min read

जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष

जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष
वसंत में आई अपने नई पत्तियों को
राहगीरों से कहने देना :
कवि ने प्रेम किया था जीवन के रहते !!
~रविंद्र नाथ टैगोर ( अनुवाद : गार्गी मिश्र )

पुण्यतिथि विशेष : रविंद्र नाथ टैगोर

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