जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष
जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष
वसंत में आई अपने नई पत्तियों को
राहगीरों से कहने देना :
कवि ने प्रेम किया था जीवन के रहते !!
~रविंद्र नाथ टैगोर ( अनुवाद : गार्गी मिश्र )
पुण्यतिथि विशेष : रविंद्र नाथ टैगोर
जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष
वसंत में आई अपने नई पत्तियों को
राहगीरों से कहने देना :
कवि ने प्रेम किया था जीवन के रहते !!
~रविंद्र नाथ टैगोर ( अनुवाद : गार्गी मिश्र )
पुण्यतिथि विशेष : रविंद्र नाथ टैगोर