जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
कविता रूपी इस मृदंग पर भाव हृदय के सुन लेती हूँ।
स्वयं लेखनी बनकर के मोती से शब्दों को लिखती,
भावकमल की पुष्करणी में खुद को शीतल कर लेती हूं।
अनामिका तिवारी “अन्नपूर्णा”✍️✍️