“जब मानव कवि बन जाता हैं “
“जब मानव कवि बन जाता हैं ”
जब मानव कवि बन जाता है
जब उसको संसार रुलाता है
सपनों के समीप जाता है
जब वह भी ठुकरा देते
वह निज मन के सम्मुख आता
पर उसकी दुर्बलता पर जब
मन भी मुस्काता है
तब मानो कवि बन जाता है
✍️श्लोक” उमंग “✍️