जान लो पहचान लो
जब मन में संघर्ष की लौ जलने लगे,
तब जान लो कि तुम बड़े होने लगे हो।
जब तुम्हारा मन हार मानने लगे,
तब समझना तुम अपने पैरों पर खड़े होने लगे हो ।।
जब अपने भी साथ छोड़ने लगे,
तब जान लो तुम सही होने लगे हो ।
जब दुनिया भी ताना सुनाने लगे,
तब समझना अपनी बात रखने योग्य होने लगे हो।
जब चारों तरफ अंधेरा सा छा जाए,
तब समझना लोगों की आंखों में खटकने लगे हो।
जब सबको लगे तुम उन पर बोझ बन गए हो,
तब समझना अपनी मंजिल के बहुत करीब हो।।
©अभिषेक पाण्डेय अभि