जब भी लिखता था कमाल लिखता था
जब भी लिखता था कमाल लिखता था
सवालों के वो जबाब लिखता था
अनछुए अनकहे भाव जीवन्त हो उठते थे
जब वो कागज पर कलम रखता था
जब भी लिखता था कमाल लिखता था
सवालों के वो जबाब लिखता था
अनछुए अनकहे भाव जीवन्त हो उठते थे
जब वो कागज पर कलम रखता था