जब भी याद में आऊं,
जब भी याद में आऊं,
उसी क्षण तुम उठा लेना कोई कविता
मिल जाऊंगा में उसी पल….हर पन्ने पर
किसी शब्द की तरह कही बिखरा हुआ..
किसी के साथ अपने को जोड़ते हुए
तो किसी अपने को छोड़ते हुए..
किसी की बेदर्द याद बनकर
तो किसी का सुंदर साथ बनकर
में मिलूंगा किसी लहजे में कोई कहानी बनकर
कोई कहेगा तो किसी लफ्ज़ की जुबानी बनकर
पर मेरा सफर जारी रहेगा किसी शब्द की तरह
शुरुआत से अंत तक सिर्फ में ही रहूंगा
मैं अजय हूं हमेशा तुम मैं ही मिलूंगा…l