जब भी मनचाहे राहों ने रुख मोड़ लिया
जब भी मनचाहे राहों ने रुख मोड़ लिया
तब अनचाहे हाथों को अपना मान लिया
जब भी रूठ गयी अपनी ही ये तक़दीर
फिर जिंदगी क्या है क़रीब से जान लिया
✍️ © ‘अशांत’ शेखर
09/02/2023
जब भी मनचाहे राहों ने रुख मोड़ लिया
तब अनचाहे हाथों को अपना मान लिया
जब भी रूठ गयी अपनी ही ये तक़दीर
फिर जिंदगी क्या है क़रीब से जान लिया
✍️ © ‘अशांत’ शेखर
09/02/2023