जब भी तेरी यादो मे खोया करते है.
जब भी तेरी यादो मे खोया करते है.
अपने आप को कुछ
इस कद्र बिखेरा करते है.
आँख मे शबनम,
लफ्ज़ो मे तेरा नाम
जपते रहते है.
खुली आँख के साथ साथ,
बन्द अांखो मे भी अक्स
तेरा होता हैं.
तेरे कदमो के निशाँ को
खुरेदने मे सुबह शाम
एक किया करते हैं.
हम कुछ इस अंदाज़ मे
खुद को बिखेर लिया करते है.
भूपेन्द्र रावत
4-12-2016