पहली बूँद
जब बादल की पहली बूँद तपती धरा पर गिरती है।
तब धरा से एक सोंधी-सोंधी-सी खुश्बू उठती है।
इस खुश्बू पर मंत्र-मुग्ध कवि के मन में अनायास ही –
इन्द्रधनुषी रंगों वाली काव्य धारा फूट पड़ती है।
-लक्ष्मी सिंह
जब बादल की पहली बूँद तपती धरा पर गिरती है।
तब धरा से एक सोंधी-सोंधी-सी खुश्बू उठती है।
इस खुश्बू पर मंत्र-मुग्ध कवि के मन में अनायास ही –
इन्द्रधनुषी रंगों वाली काव्य धारा फूट पड़ती है।
-लक्ष्मी सिंह