जब बातें हो धर्म की…
जब बातें हो धर्म की,
मन होता प्रफुल्लित ।
खुल जाते बंद द्वार,
संशय रहित होता चित्त ।।
छल कपट न ठहरता,
मन होता फिर निर्मल ।
हँसी ख़ुशी नित रहती,
दूर होते सारे खल ।।
हर बाधा मिट जाती,
खिल जाता अंतर्मन ।
अच्छे बुरे का ज्ञान होता,
सार्थक बनता यह जीवन ।।
किताबों में छुपा ज्ञान,
आ जाता फिर बाहर ।
मन का सारा तम,
लेता धर्म झट से हर ।।
क्रोध पर अंकुश रहता,
धैर्य संयम रहते पास ।
मानव होने का अहसास,
हर क्षण बनता फिर खास ।।
—जेपीएल