जब बंद ग़र्दिशों ने हरिक रास्ता किया
[15/1, 11:15 pm] Pritam Rathaur:
मुझको खुलूस ने वो अता मर्तबा किया
दुश्मन ने भी अदब से मेरा तज़किरा किया
क़िरदार की बुलंदी उड़ा ले गयी मुझे
जब बंद ग़र्दिशों ने हरिक रास्ता किया
मरने के बाद भी है मेरी आँखों में चमक
ऐ इश्क़ बोल तूने ये क्या मोजिजा किया
फिर आ गये नज़र उसे दिल के तमाम दाग़
मैने जो पेश सच का उसे आइना किया
पहले ही थरथराया था तसव्वुर से मैं तेरे
परदा उठा के तूने बपा जलजला किया
काँटों को फूल जान के चलना है उम्र भर
मुंसिफ़ ने मेरे हक़ में यही फ़ैसला किया
मरहम ने जब न ज़ख़्म पे “प्रीतम” किया असर
तेजाब ने मरज़ में मेरी फ़ायदा किया
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती(उ०प्र०)