जब दर्द हद से बढ़ जाता है।
जब दर्द हद से बढ़ जाता है।
गम आंसू में ढल जाता है।
जब दर्द हद से बढ़ जाता है।
जीना मुश्किल हो जाता है।
जब दर्द हद से बढ़ जाता है।
दिल बगाबत पर उतर आता है।
जब दर्द हद से बढ़ जाता है।
दिल पत्थर हो जाता है।
#राघवेंद्र ‛राज’
जब दर्द हद से बढ़ जाता है।
गम आंसू में ढल जाता है।
जब दर्द हद से बढ़ जाता है।
जीना मुश्किल हो जाता है।
जब दर्द हद से बढ़ जाता है।
दिल बगाबत पर उतर आता है।
जब दर्द हद से बढ़ जाता है।
दिल पत्थर हो जाता है।
#राघवेंद्र ‛राज’