जब तलक है ज़िन्दग़ी बस काम उसने लिख रखा है
जब तलक है ज़िन्दग़ी बस काम उसने लिख रखा है
मौत के तो बाद बस आराम उसने लिख रखा है
हाँ ख़ुदा ने जन्म लिक्खा फिर जवानी भी लिखी है
और सबका आख़िरी अंजाम उसने लिख रखा है
क़ब्र खोदी और उसमें लाश अपनी गाड़ डाली
क़ब्र के ऊपर फ़क़त नाक़ाम उसने लिख रखा है
सर झुकाकर चल रहा है जी हुज़ूरी कर रहा है
और अपनी रूह पर नीलाम उसने लिख रखा है
शहर का हर एक आशिक़ इश्क़ करता है उसीसे
पर हथेली पे मेरा ही नाम उसने लिख रखा है
राधिका ने मोरनी के पंख से बंसी सजाई
और उस पे प्यार से घनश्याम उसने लिख रखा है
-जॉनी अहमद क़ैस