जब तक लहू बहे रग- रग में
नज्म _ जब तक लहू बहे रग- रग में
जब तक लहू बहे रग-रग में।
मात भवानी मेरे संग में।।
इन्कलाब हो नाम लबों पे,
रंग जाऊँ केसरिया रंग में।
एक तमन्ना दीवाने की,कफन तिरंगा पाऊँगा।
लिखी वतन के नाम जवानी,
नाम इसे कर जाऊँगा।
वन्देमातरम्-वन्देमातरम्
वन्देमातरम्-वन्देमातरम्
गश्त करूँ हरदम सरहद पर,
दूजा काम नहीं अपना।
हिंदुस्तानी वीर सिपाही,
दूजा नाम नहीं अपना।।
बढ़ने ना दूँ एक कदम,
दुश्मन को मार गिराऊँगा।
लिखी वतन के नाम जवानी,
नाम इसे कर जाऊँगा।।
वन्देमातरम्-वन्देमातरम्
वन्देमातरम्-वन्देमातरम्
करे हिमाकत ग़र दुश्मन तो,
पीछे नहीं हटुँगा मैं।
एक नहीं सौ आ जायें तो,
फिर भी वहीं डटुँगा मैं।
झुकने ना दूँ कभी तिरंगा,
इसकी लाज बचाऊँगा
लिखी वतन के नाम जवानी,
नाम इसे कर जाऊंगा ।।
वन्देमातरम्-वन्देमातरम्
वन्देमातरम्-वन्देमातरम्
कतरा -कतरा मेरे लहू का,अब तो यही कहेगा सुन।
लगे काँपने रूह तुम्हारी, इतना खून बहेगा सुन।।
खप्पर लिए खड़ी रणचंडी,उसको तिलक लगा लगाऊँगा।
लिखी वतन के नाम जवानी,
नाम इसे कर जाऊँगा
वन्देमातरम्-वन्देमातरम्
वन्देमातरम्-वन्देमातरम्
जब तक लहू बहे रग-रग में।
मात भवानी मेरे संग में।।
इंकलाब हो नाम लबों पे,
रंग जाऊँ केसरिया रंग में।
एक तमन्ना दीवाने की,कफन तिरंगा पाऊँगा
लिखी वतन के नाम जवानी,
नाम इसे कर जाऊँगा
वन्देमातरम्-वन्देमातरम्
वन्देमातरम्-वन्देमातरम्
✍शायर देव मेहरानियाँ _राजस्थानी
(शायर, कवि व गीतकार)