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24 Oct 2024 · 2 min read

जब तक था मेरे पास धन का खजाना। लगा था लोगो का आना जाना।

ज़िंदगी में कभी हार मानता नही।
बस चलता चला जाता हूं।
जिंदगी में कभी मैं थकता नहीं।
बस चलता चला जाता हूं।
है मेरे विचार में कर्म है अधिकार में।
फल की चिंता कभी मैं करता नही।
जिंदगी की राह पर गम खुशी मोड़ पर।
मैं कभी ठहरता नही।
बस चलता चला जाता हूं।
मेहनत जब कार्य हार्ड होते है।
वही जाकर फिर रिकॉर्ड बनते है।
दुख का चाहे पहाड़ हो।
जेल तिहाड़ हो।
कर्तव्य पथ से कभी डिगता नही।
बस चलता चला जाता हूं।
जिंदगी देने वाले ने सोचा नही।
हमने सोचा जो वो हुआ ही नहीं।
मार सपनों को सारे छोड़ सारे सहारे।
खुद ही अकेला मस्ती में झूमे
बस चलते चला जाता हूं।
जो है मेरे प्रारब्ध में शोक संतप्त या जीवन मौत में।
होगा वही जो लिखा है मेरे भाग्य में।
घूंट घूंट के गम को आंसुओ को मैं पीता नही।
किसी को हसाए मैं हंसता नही।
मोह माया के बंधन में फंसता नही।
मेरी बीबी मुझे पागल कह गई।
ओ किसी और के साथ भाग गई।
तब से मैं हूं इक आवारा सा, रहता हूं मैं बेचारा सा।
घर को सजाने निकला था।
खुद ही मैं उजड़ आया हूं।
जिंदगी में होंगे लाखो कई।
पर मुझ सा कोई होगा नही।
जो मिला है मुझे न गिला है मुझे।
उसे ही अपनाते चला जाता हूं
कोई साथी न सहारा है।
जब से मैंने सब कुछ हारा है।
जब तक था मेरे पास धन का खजाना।
लगा था लोगो का आना जाना।
बड़े स्वार्थी है दुनिया के लोग।
कितना खराब है ये ज़माना।
खुद में खोया रहता हूं रात दिन मैं।
मैं कभी रातों में भटकता नही।
वो तो सोती है किसी की गोंद में।
मुझको देखे आंखे चले मूंद के।
मैं उसकी तरफ नज़रों से अपने देखता नही।
अब तो अमाउंट नही है अकाउंट नही है।
तब से जीवन में मेरे कोई अराउंड नही है।
लोग कहते हैं मैं बड़बड़ाता हूं।
मौत के सामने मैं गिड़गिड़ाता हूं।
पर आरजे आनंद जिंदगी में कभी डरते नही।
जिंदगी की राह पर बिना किसी चाह के।
मैं चलते चला जाता हूं।
बस चलते चला जाता हूं।
RJ Anand Prajapati।

Language: Hindi
37 Views

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