जब जज़्बात दिलों मे दम तोड़ते हैं…..
जब जज़्बात दिलों मे दम तोड़ते हैं
कहीं न कहीं तो असर छोड़ते हैं ।
जो है भीतर मुझ में,वो एक शख्स मुझी-सा
ढूंढने को जिसे हम बाहर दौड़ते हैं ।
जब जज़्बात दिलों मे दम तोड़ते हैं
करतें है बातें खुद से आईने में कभी तो
कभी रूठ खुदी से आईना तोड़ते हैं
जब जज़्बात दिलों मे दम तोड़ते हैं ।
करतें है हर कोशिश उसे पाने की कभी तो
कभी खुदी से हार कर उम्मीद छोड़तें है
जब जज़्बात दिलों मे दम तोड़ते हैं ।
बयाँ करे जो अनकहे राज दिलों के
शब्दकोषो से ऐसे ही शब्द जोड़ते हैं
जब जज़्बात दिलों मे दम तोड़ते हैं
कहीं न कहीं तो असर छोड़ते हैं ।
**##@@कपिल जैन@@##**