Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2024 · 1 min read

जब जिन्दगी की राहो में

जब ज़िंदगी की राह में, प्यार का आँचल लिए,
दिल की धड़कनों में, ये एहसास जगाए,
तब समझो, मेरा दोस्त, प्रेम की कविता लिखी जाए।

प्रेम की विभोर बहारों में, सदा सुंदरता रहे,
मुस्कान की छांव में, खुशियों की बारिश हो,
दिल के हर धड़कन में, प्यार की गहराई हो।

प्रेम का वादा करते हैं, एक-दूजे के संग चले,
साथ बिताए हर पल में, दिल की हर धड़कन मायूसी भगाए,
मधुर स्पर्श में, अपनों की ख़ुशबू बिखेरे।

आँखों की जुबांदी में, प्यार के गीत छिड़के,
चेहरे के रंग में, प्रेम की छाया गोलियाँ छिपे,
तन मन की उदासी दूर करे, धीरे-धीरे सब गम निकाले एक प्रेम ऐसा भी।
कार्तिक नितिन शर्मा

80 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी है नारायणी
नारी है नारायणी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
क्या हुआ गर नहीं हुआ, पूरा कोई एक सपना
क्या हुआ गर नहीं हुआ, पूरा कोई एक सपना
gurudeenverma198
*हमारे कन्हैया*
*हमारे कन्हैया*
Dr. Vaishali Verma
सकुनी ने ताउम्र, छल , कपट और षड़यंत्र रचा
सकुनी ने ताउम्र, छल , कपट और षड़यंत्र रचा
Sonam Puneet Dubey
किसी को भूल कर
किसी को भूल कर
Dr fauzia Naseem shad
यूं तो हमेशा से ही
यूं तो हमेशा से ही
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मेरे दिल की गलियों में तुम छुप गये ऐसे ,
मेरे दिल की गलियों में तुम छुप गये ऐसे ,
Phool gufran
हिंदी दिवस विशेष
हिंदी दिवस विशेष
Shubham Anand Manmeet
बाढ़
बाढ़
Dr.Pratibha Prakash
शीश झुकाएं
शीश झुकाएं
surenderpal vaidya
"व्यर्थ है धारणा"
Dr. Kishan tandon kranti
16. आग
16. आग
Rajeev Dutta
!...............!
!...............!
शेखर सिंह
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक
एक "सहेली" एक "पहेली"
विशाल शुक्ल
उल्लास
उल्लास
Pt. Brajesh Kumar Nayak
दर्पण
दर्पण
Kanchan verma
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तुम भी जनता मैं भी जनता
तुम भी जनता मैं भी जनता
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हे प्रभु इतना देना की
हे प्रभु इतना देना की
विकास शुक्ल
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
पूर्वार्थ
*** मैं प्यासा हूँ ***
*** मैं प्यासा हूँ ***
Chunnu Lal Gupta
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
Shubham Pandey (S P)
देशभक्ति
देशभक्ति
पंकज कुमार कर्ण
*क्षीर सागर (बाल कविता)*
*क्षीर सागर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
“लिखते कुछ कम हैं”
“लिखते कुछ कम हैं”
DrLakshman Jha Parimal
एक सच ......
एक सच ......
sushil sarna
🙅fact🙅
🙅fact🙅
*प्रणय*
4696.*पूर्णिका*
4696.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सोच
सोच
Neeraj Agarwal
Loading...