*जब जन्म लिया तो मरना है, मरने से कैसा घबराना (राधेश्यामी छं
जब जन्म लिया तो मरना है, मरने से कैसा घबराना (राधेश्यामी छंद )
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जब जन्म लिया तो मरना है, मरने से कैसा घबराना
यदि निरुद्देश्य जीवन है तो, समझो यह व्यर्थ गॅंवा जाना
क्षण-भर के लिए बनो बिजली, चमको यों नभ को ज्ञात रहे
फिर मात मिले या घात मिले, सदियों तक जग में बात रहे
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451