~~~जब केजरीवाल उभर रहे थे ~~~
प्रिय मित्रो,
यह कविता इन दो महान विभुतिओं के नाम जिन्होंने “अरविन्द केजरीवाल ” का बहुत मजाक बनाया
राम मोहन और आशुतोष दुबे
दो नाम ऐसे आये मेरे सामने
मेरी एक कविता का उपहास उड़ाया
जमकर दोनों लोगो ने
केजरीवाल साहब की बनी कविता
का खूब मजाक बनाया इन दोनों ने
मुझे बुरा नहीं लगा इस उपहास का
बस एक बात जरूर कहूँगा इन दोनों से
दम अगर है तुम दोनों में
केजरीवाल जैसे इंसान के नक्शे कदम पर चलने की
हिम्मत अगर है दुनिया में उनकी तरह
से आगे आकार जोश भरने की
तो वो कर के दिखाना , जिस से इतिहास बदल जाये
वरना न हो सके , तो अपना मुंह न दिखाना दुनिया में कभी
आज वो विराजमान हैं दिल्ली जैसी गद्दी पर
अगर साथ दिया दिल्ली ने तो कब्र भी खुद जाएगी भ्रष्टाचार की
हिम्मत उन जैसी मुझ में भी है और में मेम्बेर् बनूगा “आप” का
बखिया उधड जाएँगी, और काप जाएगी रूह, होने वाले इस काम की
जय हिन्द, जय भारत
अजीत कुमार तलवार
मेरठ