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29 Dec 2021 · 1 min read

जब कभी कोई भी सुनी दस्तक

जब कभी कोई भी सुनी दस्तक
हमको तो उनकी ही लगी दस्तक

थाप देती थी सीधी दिल पर जो
अब भी कानों में गूंजती दस्तक

वो गए छोड़ बीच रस्ते में
याद पर देती ही रही दस्तक

दौड़ कर बार बार ही देखा
कर नहीं पाये अनसुनी दस्तक

होश ही अपने खो दिये हमने
जब सुनी दिल पे प्यार की दस्तक

सो न जाए ज़मीर अपना ही
देती है रोज हाजिरी दस्तक

’अर्चना’ जिंदगी में तो सबके
मौत ही देगी आखिरी दस्तक

डॉ अर्चना गुप्ता

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