जब कभी आई खुशी गम भी रुलाने आ गये।
गज़ल
2122……2122……2122……212
जब कभी आई खुशी गम भी रुलाने आ गये।
चैन से बैठे नहीं फिर से सताने आ गये।
जिंदगी में आप आयेंगे खुशी थे सोचकर,
हो गए हैं और के बस ये बताने आ गये।
मैं गिरा गिरता रहा कोई न आया थामने,
जब कभी उठने लगे तो सब गिराने आ गये।
अब गरीबी भुखमरी बेरोजगारी छोड़कर,
देश मे उन्नति बहुत है ये दिखाने आ गये।
मां के हाथों में अगर बच्चा जो थोड़ा रो दिया,
कैसे बच्चे पालते मां को सिखाने आ गये।
लड़खड़ाए जब कदम ऊँगली पिता की थाम ली,
उस पिता पर आज वो ऊँगली उठाने आ गये।
प्रेम रँग पर ज्ञान रँग ऊधौ का चढ़ पाया नहीं,
कृष्ण ‘प्रेमी’ प्रेम गंगा में नहाने आ गये।
…….✍️प्रेमी