जब इश्क बहुत संगीन हो जाए l
जब इश्क बहुत संगीन हो जाए l
जिंदगी बहुत रंगीन हो जाए ll
दिल टूटने पर इतना रोये l
सागर बिन नमक, नमकीन हो जाये ll
इश्क को नकारे है जिंदगी में l
विषय गम, गहन ग़मगीन हो जाए l
आसमान, सहज जमीन हो जाए l
जीवन चमकता, हसीन हो जाए ll
सोच ओ नियत, महीन महीन रखे l
नियती व जीवन, महीन हो जाए ll
प्यास व तृप्ति सोच, गैर हो जाए l
तो हर प्यास, नाजनीन हो जाए ll
अरविन्द व्यास “प्यास”