जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हा
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हावी हो जाती है तो वो एक नए अपराध या स्वर्णिम इतिहास को जन्म देती है।
RJ Anand Prajapati
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हावी हो जाती है तो वो एक नए अपराध या स्वर्णिम इतिहास को जन्म देती है।
RJ Anand Prajapati