जब अन्तस में घिरी हो, दुख की घटा अटूट,
जब अन्तस में घिरी हो, दुख की घटा अटूट,
जब कुटुम्ब में जाय पड़, बिना वजह ही फूट,
तब भी बिन विचलित हुए, चलें सुपथ पर आप
बरसेगी प्रभु की कृपा, बन पियूष के घूँट।।
………………………..महेश चन्द्र त्रिपाठी
जब अन्तस में घिरी हो, दुख की घटा अटूट,
जब कुटुम्ब में जाय पड़, बिना वजह ही फूट,
तब भी बिन विचलित हुए, चलें सुपथ पर आप
बरसेगी प्रभु की कृपा, बन पियूष के घूँट।।
………………………..महेश चन्द्र त्रिपाठी