जबान से लगी चोट कभी ठीक नहीं होती
आओ मेरी आवारगी में तुम भी शामिल हो जाओ,
पाप, पुण्य, सुख, दुःख की यहाँ सीख नहीं होती .
लड़ लो, झगड़ लो खूब, पीट लो अपनों को,
क्योंकि जबान से लगी चोट कभी ठीक नहीं होती .
हमने अठन्नी रुपया माँगा तो हिकारत ही मिली,
करोडों, अरबों का डोनेसन यहां भीख नहीं होती .
मेरा भविष्य, बच्चों का भविष्य अनेक पीढ़ी का,
सुनते हैं कि इस तरह की दौड़ ठीक नहीं होती .
कमाते, बचाते, चुराते हुए गुजरी है अब तक,
कहते हैं ऐसी जवानी में कोई रीढ़ नहीं होती .
मेरे कफ़न में एक थैली लगवाना जरूर यारों,
लोग सोचें, कहें बुरी कमाई ठीक नहीं होती .
वो देखता है, सुनता है, समझता है सब कुछ,
मगर चढ़ावे पे चढ़ावा से उसे खीझ नहीं होती .
बचाकर रक्खो इन आँखों का छलकता पानी,
ठगों की दुनिया है, सरलता यहाँ टीक नहीं होती.
प्रदीप तिवारी
9415381880