*”जबसे तुमने कुछ कहा है”*
“जब से तुमने कहा है”
नजरों से नजरें मिल गई जबसे तुम्हें देखा है,
नैनों में ख्वाब सजाए हुए प्रीत की डोरी में
बांधे रखा है।
अंतर्मन में बसे हुए हो तुम ,दिल की धड़कन साँसों में थामे रखा है।
कुछ कहते कुछ सुनते तुमसे ,कर्म पथ पर चलकर कदम उठाए रखा है।
जब से तुमने कुछ कहा है…!!
सुख दुःख ताने बाने ,लाभ हानि ,पाप पुण्य,
इधर उधर जब मन भटके डांवाडोल होवे ,
जीवन की बागडोर संभाल कर ,
असंतुलित मन को संतुलित कर समझाया है।
जबसे तुमने कुछ कहा है…!!
भावनाओं में छलकता ये बावरा मन क्यों,
निस्वार्थ भाव से सेवा समर्पण चेतन मन से धैर्य बंधाया है।
ताने बाने से उलझता ये जीवन ,
शांत चित्त आसान तरीका अपनाया है।
कर्म ही जीवन कर्म बंधन में डिगे रहना है।
जबसे तुमने कुछ कहा है …! !
दिल में जो आरजू थी उसे पूरा करते हुए ,
उचित समय में सलाह मशवरा देके
ज्ञान मार्ग दर्शन सबक सिखाया है।
कौन क्या कह रहा क्या कर रहा ,
उससे ध्यान हटाकर जीने की तमन्ना जगा
जीवन सुधार दिया है।
उन पलों को जो विकट स्थिति में समस्या
खड़ी हो गई हौसला अफजाई किया है।
जबसे तुमने कुछ कहा है…! !
रुकती थमती थकान भरी जिंदगी में ,
राहों में कंटक मार्ग मिल गए थे
उन हर कष्टों को दूर कर ,फूलों की तरह से
जीवन बगिया महकाये रखा है।
चमकते चाँद सितारों की तरह रोशन जीवन ,
सिर्फ तुम्हारा ही सहारा लिए ,ईश्वर रूप धारण किये रखा है।
एक दूजे के साथ चलकर मुस्कराते हुए ,
आस लगाए आस्था विश्वास की ज्योति जलाये रखा है।
जबसे तुमने कुछ कहा है..! !
गर हमसफ़र का साथ हो समझदार हो ,
सात फेरे सातों वचनों को निभाते हुए
जीवनसाथी तुम्हें चुन लिया है।
नई पीढ़ी नए विचार धारा से नियम बद्व,
हरदम साथ चलने का सच्चा वादा पूरा किया है।
नेक काम सच्चे अर्थों में जीवन सफलता की ओर आकर्षित किया है।
अकेलापन तन्हाइयों में भयभीत रहते ,
उन खालीपन को भीतर से निडर होकर हिम्मत दिया है।
जबसे तुमने कुछ कहा है…! !
कठिन परिश्रम ईमानदारी से कर्त्तव्य करते ,
विपरीत परिस्थितियों में भी मुस्कराते हुए
चेहरों से संबल प्रदान किया है।
हर किसी बात का सरल उपाय निकाल कर,
नई दिशा में खुशहाली जीवन जीने का अंदाज बदल दिया है।
जबसे तुमने कुछ कहा है….! !
शशिकला व्यास✍
स्वरचित मौलिक रचना