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3 May 2024 · 1 min read

जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर

नहीं ले पाता मैं पूरी नींद,
याद जब किसी की सताती है,
छटपटाता हूँ रातभर मैं,
उनकी बेरुखी को देखकर।

सोचता हूँ मैं,
क्यों नहीं आते वो,
मुझसे मिलने कभी,
क्या प्यार नहीं उनको मुझसे,
क्या धड़कता नहीं उनका हृदय,
मेरे लिए कभी भी।

शायद बेकार की चीज समझते हैं वो,
मुझको और रिश्तों को,
जो जुड़े होते हैं हृदय से,
जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता के लिए।

जब बूढ़ा हो जाता है आदमी,
होता है आँसूओं से भीगा उसका मन,
तब इन्हीं रिश्तों की जरूरत होती है,
शेष जिंदगी को ताकत देने,
बची हुई जिंदगी को जीने के लिए।

शायद वो बहरे हो गये हैं,
कि अब सुनते नहीं है मेरी आवाज को,
नाहक समझते हैं शायद मुझको,
इसलिए नहीं बढ़ाते कदम वो,
मुझसे मिलने के लिए,
जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर,
उनके मिलने आने की उम्मीद में।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
115 Views

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