जप-तप या पूजा करो, अथवा पढ़ो नमाज़ ।
जप-तप या पूजा करो, अथवा पढ़ो नमाज़ ।
धर्म नहीं कहता कभी , विघटित करो समाज ।।
विघटित करो समाज , दिखे बस हिंसा , नफ़रत ।
खत्म हुआ सौहाद्र , बदल दे अब तो फितरत ।
समरसता की गूँज , बन्दकर झूठी गप शप ।
छोड़ ढोंग पाखण्ड , शुरू कर सच्चा जप तप ।।
सतीश पाण्डेय