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20 Aug 2020 · 1 min read

जन लोकपाल

जन लोकपाल
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आदरणीय अन्ना हजारे ने रामलीला मैदान में जब जन लोकपाल के लिए अनशन किया था उस समय जैसे समूचा देश हर वर्ग अपने अपने ढंग से समर्थन के लिए उठ खड़ा हुआ था।देश में ही नहीं विदेश में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही थी।विदेशी भारतीय मूल के अधिकतर लोग समर्थन में तिरंगा लिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे।किसी मुद्दे पर ऐसा जन समर्थन जनसैलाब आजादी के बाद सबसे बड़ा जन आंदोलन माना गया।सबसे अधिक सुर्खियों में उस समय अन्ना हजारे का नाम था।लेकिन समय के साथ साथ ये सुर्खियां खोती चली गई ।अन्ना जी भी क्या करें?
उसी आन्दोलन की बदौलत आज अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी ‘आप’ दिल्ली में तीसरी बार सत्ता में है।अन्ना और आन्दोलन की विचारधारा के विपरीत जाकर राजनीतिक महत्वाकांक्षा
को सारे विरोधों को दर किनार करते हुए ये निर्णय लिया था।
केंद्र और कई राज्यों ने लोकपाल बनाया तो,लेकिन मूल उद्देश्य से दूर यह कानून सिर्फ लोगों को भरमाने से ज्यादा कुछ नहीं है।लोग मुगालते में हैं और चुपचाप रामधुन कर आनंद का अनुभव कर रहे हैं ।तभी तो लोकपाल और उसकी गतिविधियों की कहीं कोई चर्चा तक नहीं होती।ऐसा लगता है जब से लोकपाल आया तब से सभी ने गंगा स्नान कर कंठी माला धारण कर लिया है।
वास्तविकता तो यह है कि इस हमाम में जब सब नंगे हैं तो कौन किसे नंगा कह सकता है।जिंदा मछली को निगलने का हौंसला बहुत दूर की कौड़ी है।
?सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 306 Views
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