जन-धन-खेत-पशु, आग से बचाइये
घनाक्षरी (खेतों की ये नरवाई)
—-
खेतों की ये नरवाई, मत जला मेरे भाई,
घास-पात खेत की ही, मिट्टी में दबाइये.
वर्षा के पानी को फिर, खेत में भराव कर,
घास-पात नरवाई, खेत में सड़ाइये.
कृषि उपयोगी कीट, खेत में ही पलें-बढ़ें,
खेत की मिट्टी को ऐसे, भुर्भुरा बनाइये.
उर्वरा ये खेत की भी, ‘कौशल’ बचाओ और,
जन-धन-खेत-पशु, आग से बचाइये.
कौशलेन्द्र सिंह लोधी ‘कौशल’
9993510584