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13 Nov 2023 · 1 min read

– जन्म से लेकर मृत्यु तक का सफर –

जन्म से लेकर मृत्यु तक का सफर –
बचपन में था में नादान,
नही था मुझको किसी भी बात का भान,
था में अबोध बालक,
दुनियादारी से अनजान,
न ही मुझे थी दुनिया व दुनियादारी का ज्ञान,
जैसे जैसे बढ़ा हुआ ,
तेसे तेसे मुझे हुआ दुनियादारी का ज्ञान,
दुनियादारी बड़ी निराली उसकी पालना सबको करनी ऐसा उसका विधान,
युवावस्था में अपनो के धोखो का हुआ मुझे जब भान,
अब में चाहु मृत्यु का वरण,
पर अकाल मृत्यु है एक ईश्वरीय अभिशाप,
ऐसा करके नही भुगतना,
मुझे ईश्वर संत्रास,
यही है जीवन से लेकर मृत्यु तक के सफर का ज्ञान,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क -7742016184

Language: Hindi
166 Views
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