“जन्म से नहीं कर्म से महान बन”
चौरासी लाख योनियों को पार कर
भटकते – भटकते मंजिल से प्यार कर
दुर्लभ मनुष्य जीवन से इकरार कर
एक दिन मानव तन का चोला धारण कर
अबोध , निरीह प्राणी आया यूं पृथ्वी पर
जन्म के बाद शुरू हुआ कर्मों का सफर
जन्म से नहीं अपने कर्मों से तू महान बन
समभावी, सर्वहितकारी बनने की पहचान बन
अब्दुल कलाम और शास्त्री के पुण्य – पथ पर चल
अपने कर्मों से अपनी गति और पहचान बदल
जीवन – पथ पर कदम रख संभल – संभल
सब प्राणियों से निःस्वार्थ व्यवहार रख
कर्मों से ही होनी है तेरी अन्तिम परख
अनमोल जीवन मिला है अपने कर्मों का हिसाब रख
कर्म से ही जीवन को महान कर
हर प्रयास में मानवता बेमिसाल कर
ना होड़ रख, ना जिद्द से तू यूं मचल
बस नेकी की राह पर अकेला चल
एक दिन मंजिल भी तुझे जाएगी मिल
हंसते – मुस्कुराते हर कदम पर चल
मांझी और मूर्मू सी मिसाल बन
कल्पना और मदर टेरेसा सा खिला चमन
मानव हित में एक पहचान बन
गांधी और बाबा साहेब सा तू हरदम निखर
बोस और पटेल सा विशाल हृदय धर
कबीर , तुलसी और मीरा – सा गीत बुन
लता और जगजीत सी गा तू धुन
सावरकर सी निश्छलता तू पा जाए अगर
हंसी ख़ुशी इस भवसागर से पार उतर
जन्म से नहीं कर्म से महान बन
जीवन – पथ को मंत्र – सा अभिमंत्रित कर।
जन्म से नहीं कर्म से महान बन।।
भगवती पारीक ‘मनु’ 💫