जन्म दिवस हम क्यों मनाते हैं !
जन्म दिवस हम क्यों मनाते हैं,
बीती यादों को क्यों सजाते हैं।
हर वर्ष जीवन तो घट जाता है,
सीमित समय भी कट जाता है।
जो बीत गया वो पल रहा नहीं,
आने वाला तो हमने सहा नहीं।
फिर खुद को क्यों भरमाते हैं,
जन्म दिवस हम क्यों मनाते हैं।
पड़ाव की ओर यात्रा बढ़ती है,
उम्र हर वर्ष करवट बदलती है।
फिर क्यों इतना हंसते हंसाते हैं,
जन्म दिवस हम क्यों मानते हैं।
नशवर जीवन नियति का खेल,
इक दिन होना विधाता से मेल।
फिर क्यों इतना हम लहराते हैं,
जन्म दिवस हम क्यों मनाते हैं।