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15 Dec 2016 · 1 min read

जन्म जन्म से तुम्हारा है इंतज़ार मुझे

जनम-जनम से तुम्हारा है इंतज़ार मुझे
चले भी आओ कराओ जरा दीदार मुझे

उजड़ गया है मेरे इश्क़ का चमन लोगो !
मन मुआफ़िक़ नहीं लगती है अब बहार मुझे

रोज़ अल्फ़ाज़ के खंज़र न चला सीने पर
है गुज़ारिश कि यूं किश्तों में न तू मार मुझे

तेरे पहलू में रहूँ , तुझको रखूँ पहलू में
तेरे साँसों की है खुश्बू से सरोकार मुझे

किस तरह तुमको यकीं आज दिलाये “बबिता ”
सिर्फ़ तुमसे है फक़त प्यार बेशुमार मुझे

बबीता अग्रवाल #कँवल

1 Like · 602 Views
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