जन्म जन्म से तुम्हारा है इंतज़ार मुझे
जनम-जनम से तुम्हारा है इंतज़ार मुझे
चले भी आओ कराओ जरा दीदार मुझे
उजड़ गया है मेरे इश्क़ का चमन लोगो !
मन मुआफ़िक़ नहीं लगती है अब बहार मुझे
रोज़ अल्फ़ाज़ के खंज़र न चला सीने पर
है गुज़ारिश कि यूं किश्तों में न तू मार मुझे
तेरे पहलू में रहूँ , तुझको रखूँ पहलू में
तेरे साँसों की है खुश्बू से सरोकार मुझे
किस तरह तुमको यकीं आज दिलाये “बबिता ”
सिर्फ़ तुमसे है फक़त प्यार बेशुमार मुझे
बबीता अग्रवाल #कँवल