जन्म और मृत्यु
जन्म मिला है इंसान का, इसको व्यर्थ न गवांना तुम,
इंसान हो अगर तो,इंसानियत का फर्ज निभाना तुम।
गुरुर करना न दौलत का कभी,ये माटी का ढेला है,
फिसल गया हाथ से अगर,तो रोकर न पछताना तुम।
जिंदगी का सफर है अनदेखा, अनजाना सा एहसास है,
काम करो नितरोज कुछ ऐसा,सफर मज़ेदार बनाना तुम।
जन्म हुआ है इस धरा पर, मृत्युं भी फिर निश्चित है,
मृत्युं से पहले ही बन्दे, मृत्यु से न डर जाना तुम।
जीवन के सफर की,अंतिम मंजिल ईश्वर का धाम है,
सदमार्ग पर आगे बढ़कर, अपनी मंजिल को पाना तुम।
रहें या न रहें इस संसार में, नाम हमारा अमर रहे,
बस जाओ सबके दिल में, पावन कर्म कर जाना तुम।
By:Dr Swati Gupta