जन्माष्टमी को मिलकर (भक्ति गीतिका)
जन्माष्टमी को मिलकर (भक्ति गीतिका)
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जन्माष्टमी को मिलकर, कुछ इस तरह मनाऍं
माखन चुरा के घर का, ग्वालों में बॉंट आऍं (1)
हम प्यार के पुजारी, वसुधा से प्यार सीखें
पशु पक्षियों को चाहें, गायों को हम चराऍं(2)
मस्ती में डूब जाऍं, कोलाहलों से हटकर
हम मौन हो के मन से ,फिर बॉंसुरी बजाऍं(3)
जब रात हो शरद की, पूनम का चॉंद निकले
कान्हा के साथ बालक ,हम रास फिर रचाऍं(4)
गंदा न होने दें हम, यमुना का बहता पानी
सौ-सौ फनों के कालिय, हम नाग को भगाऍं (5)
हम शांति- दूत बनकर, बस पाँच गॉंव मॉंगें
जो सामने हठी हो, तो युद्ध भी लड़ाऍं (6)
गीता के प्रष्ठ पढ़कर, हम सीख इतनी ले-लें
यदि युद्ध है जरूरी, तो पीठ न दिखाऍं(7)
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451