जन्मभूमि हमको बलिदान से मिली है।
मित्रो! श्रीरामजन्मभूमि को समर्पित एक ग़ज़ल पढ़िये।
जन्मभूमि हमको बलिदान से मिली है।
हरगिज़ नहीं किसी के, अहसान से मिली है,
यह जन्मभूमि हमको, बलिदान से मिली है।।
विध्वंस बाबरी का, करने को जो चढ़े थे,
उन कारसेवकों की, ही जान से मिली है।।
प्रभु के उपासकों ने, लोहू यहाँ बहाया,
लोहू से जो था चमका, दिनमान से मिली है।।
कितने ही गोधरा में, ज़िन्दा जला दिये थे,
उस चीत्कार वाले, वरदान से मिली है।।
सदियाँ गुज़रती जायें, लेकर इसे रहेंगे,
हर रामभक्त के उस, अनुमान से मिली।।
इंसान को कि जिसने, शैतान है बनाया,
उस मोमिनों की पुस्तक, क़ुरआन से मिली है।
आकर के जिसकी ज़द में, बरबाद हुई धरती,
इस्लाम के भयंकर, तूफ़ान से मिली है।।
जिनके कि बाप-दादा, डरकर बने थे मोमिन,
ऐसे ही हर मुहम्मद और ख़ान से मिली है।।
आतंक सारे जग को, जिस कौम ने दिया है,
लड़कर के सदियों तक उस, ईमान से मिली है।।
सम्बन्ध जिससे इसका, हरगिज़ नहीं था कोई,
बाबर की उस हरामी, सन्तान से मिली है।।
अल्लाह नाम लेकर, तोड़े थे जिसने मन्दिर,
बर्बर व क्रूर क़ातिल, बलवान से मिली है।।
बाबर को अपना अब्बा, बैठे हैं मानकर जो,
ऐसे हरेक शाहरुख, सलमान से मिली है।।
भारत का बच्चा-बच्चा, श्रीराम गा रहा था,
ऐसे ही हर दीवाने, हनुमान से मिली है।।
सर पर कफ़न लपेटे, दिन-रात घूमते थे,
प्रभु राम जी का करते, गुणगान से मिली है।।
टंकार जिसकी सुनकर, संसार काँपता था,
उस वाण के धनुष पर, सन्धान से मिली है।।
प्रभु राम के दीवानों, ने ख़ुद जिसे चुना था,
मृत्यु के सारे साज़-ओ-सामान से मिली है।।
प्रभु राम की अयोध्या, प्रभु राम हैं हमारे,
“रोहित” दिलों में था जो, सम्मान से मिली है।।
✍️ रोहित आर्य