जन्मभूमि पर रामलला के मंदिर का निर्माण हो
पूरी हो मन की अभिलाषा जन जन का कल्याण हो
जन्मभूमि पर रामलला के मंदिर का निर्माण हो
आक्रंता था बाबर जिसने जन्मभूमि कब्जाई थी
परकोटों का नाम बदल कर, मस्जिद नई बनाई थी
हिन्दू मन उद्वेलित था, भय की लाचारी छाई थी
मुगलों के अत्याचारों से घोर निराशा छाई थी
रामलला बंधन में हैं अब कैसे उनका त्राण हो
जन्मभूमि—- ——
हिन्दू मानस एक बार फिर उद्वेलित हो आया था
मंदिर वहीं बनाएंगे, जयघोष लगाता आया था
कारसेवकों के झुंडों ने ढांचा दिया गिराया था
सरकारी आदेशों ने फिर से प्रतिबंध लगाया था.
रामलला तंबू में बैठे, कैसे उनका त्राण हो
जन्मभूमि- – – –
भूमि के अधिकार का प्रकरण न्यायालय में पहुँचा था
पुरातत्व को जन्मभूमि के खनन का जिम्मा सौंपा था
वहां भूमि के नीचे सब मंदिर के खंभे निकले थे
पाकर सभी प्रमाण पीठ ने मंदिर ही ठहराया था
मसला फिर अपील में पहुँचा सांसत में फिर प्राण हो
जन्मभूमि – – –
राम लखन शत्रुघ्न भरत, इन चौबारों में खेले थे
माताओं का लाड़ मिला था और पलनों में झूले थे
यहीं गुरु से दीक्षा पाई, आत्मज्ञान भी पाया था
यहीं सिया ने सेवा करके सबका मन हर्षाया था
सियाराम की स्मृतियों का करें पुनः निर्माण हो
जन्मभूमि पर——
राम नहीं हैं केवल राजा, जन जन के वह नायक हैं
हर हिंदू के अंतर्मन की श्रद्धा में रघुनायक हैं
सामाजिक व्यवहारों की मर्यादा के परिचायक हैं
भक्तों के अनहद् में गुंजित राम नाम के गायक हैं
उन्हीं राम के मंदिर का अब जैसे भी निर्माण हो.
जन्मभूमि पर रामलला के मंदिर का निर्माण हो।
राम जिन्होंने बाल्यकाल में असुरों का संहार किया,
विकट ताड़का का वध करके संतों का उद्धार किया,
जिनकी चरण धूलि से पत्थर बनी अहिल्या तरी गई,
जिनको झूठे बेर खिलाकर शबरी मैया धन्य हुई,
चरणोदक दे किया जिन्होंने केवट का कल्याण हो,
जन्मभूमि ——-
न्यायालय फिर से कहता है, दोनो मिलकर बात करो,
हिन्दू मन फिर उद्वेलित है, कैसे भी निर्माण करो
केन्द्र राज्य में बहुमत पाए अब तो इस पर ध्यान करो
करो फैसला बातचीत से, एक विधेयक पास करो
हिंदू मन की घोर निराशा का अब तो परित्राण हो
जन्मभूमि – – –
आशा बनी हुई थी अब तो त्वरित न्याय मिल जाएगा
पता नहीं था तीन मिनट में मसला फिर टल जाएगा
रामकृपा से कुर्सी पाई, खेल राम से करते हो
न्यायमूर्ति बन बैठे हो तो न्याय क्यों नहीं करते हो
रामकृपा से ही संचालित हैं इस तन में प्राण हो
जन्मभूमि पर —–
मनोकामना त्वरित पूर्ण हो प्रभु से आशा करते हो,
जब मंदिर में जाते हो तो यही अपेक्षा करते हो,
लेकिन मंदिर के मसले को बरसों से लटकाए हो,
जगतनियंता तम्बू में हैं इसको भूले रहते हो,
खुद को खुदा समझने वालों, स्वयं करो परित्राण हो,
जन्मभूमि पर —–
संतो ने हुंकार भरी है मंदिर को अब बनवाओ,
न्याय की आशा छोड़ो मसला संसद में ही सुलझाओ,
करो विधेयक राज्यसभा में, खुली बहस अब करवाओ,
असली फर्जी हर हिन्दू का जरा मुखौटा खुलवाओ,
राम नाम ही सत्य कहोगे,जब निकलेंगे प्राण हो,
जन्मभूमि पर ——
राम नाम के अंकित पत्थर सागर पर भी तैरे थे,
राम नाम की महिमा को हम भक्त स्वयं ही भूले थे,
मर्यादा पुरुषोत्तम की माया में हम सब उलझे थे,
राम स्वयं की इच्छा से ही तंबू में जा बैठे थे,
भक्ति भाव से टेर लगाओ, करो राम कल्याण हो,
जन्मभूमि पर रामलला के मंदिर का निर्माण हो ।
राम तुम्हीं सब करने वाले, अब तुम ही उद्धार करो
हर हिंदू के अंतर्मन के सपने को साकार करो
हिंदू मुस्लिम के मानस में प्रेम सुधा संचार करो
राम सभी के, सभी राम के ऐसे सबके भाव करो
राम विराजें सबके मन में सबका ही कल्याण हो
जन्मभूमि – – –
दीवाली पर राम आगमन का उत्सव जब मनवाया,
सरयू तट को दीप मालिकाओं से जब से सजवाया,
हुए प्रसन्न राम और सब बाधाओं को हटा दिया,
न्यायालय भी सक्रिय हो गया और फैसला सुना दिया,
राम विराजेंगे मंदिर में हर्षित तन मन प्राण हो,
जन्मभूमि पर रामलला के मंदिर का निर्माण हो ।
पूर्ण हो गयी आज प्रतीक्षा, मंदिर के निर्माण की,
युगों युगों के संघर्षों की, कोटि कोटि बलिदान की,
अखिल विश्व में सत्य सनातन के ध्वज की पहचान की,
बने निशानी अब यह मंदिर, भारत के सम्मान की,
रामलला के इस मंदिर की सारे जग में शान हो,
जन्मभूमि पर रामलला के मंदिर का निर्माण हो!
रामलला हम आयेंगे, अरु मंदिर वहीं बनाएंगे
रामशिलाएं जोड़ जोड़कर, भव्य भवन बनवाएंगे
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा मंदिर में करवाएंगे
घंटे और घड़ियाल बजाकर राम नाम धुन गाएंगे
राम राम जय राम राम मय रमते मन और प्राण हो
जन्मभूमि – – – –
पूरी हो मन की अभिलाषा जन जन का कल्याण हो
जन्मभूमि पर रामलला के मंदिर का निर्माण हो.
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद