जन्मदिवस विशेष: मिसाइलमैन
भारत के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज 90वीं जयंती है। वे एक आला दर्जे के वैज्ञानिक थे जिन्हें शिक्षक की भूमिका बेहद पसंद थी। उनकी पूरी जिंदगी शिक्षा को समर्पित रही। वैज्ञानिक कलाम साहित्य में रुचि रखते थे, कविताएं लिखते थे, वीणा बजाते थे और अध्यात्म से भी गहराई से जुड़े थे। कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। इनके पिता अपनी नावों को मछुआरों को किराए पर देकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के लिए कलाम को घर-घर अखबार बांटने का भी काम करना पड़ा था। कलाम ने अपने पिता से ईमानदारी व आत्मानुशासन की विरासत पाई थी और माता से ईश्वर-विश्वास तथा करुणा का उपहार लिया था।
कलाम साहब के बारे में एक खिस्सा काफी मशहूर है,
ये किस्सा तब का है जब कलाम इसरो संस्था में काम करते थे. इसरो के साइंटिस्ट्स एक दिन में 13 से 14 घंटे काम करते है. ऐसे में एक दिन एक साइंटिस्ट अपने बॉस से शाम 5 बजे ही घर जाने की अनुमति लेता है क्योंकि उसने अपने बच्चों को मेला घूमाने का वादा किया था.
साइंटिस्ट को अनुमति भी मिल जाती है पर वह अपने काम में इतना मग्न हो जाता है कि उसे पता ही नहीं चलता कि शाम के पांच कब बजे और जब ध्यान आया तब तक 6 बज चुके थे, वह भागे भागे अपने घर पहुँचता है और अपनी पत्नी से अपने बच्चों के विषय में पूछता है, पूछने पर पता चलता है कि उस साइंटिस्ट के बॉस शाम के 5 बजे घर आए थे और उसके बच्चों को मेला घूमाने ले गए.
इस कहानी में बॉस और कोई नहीं बल्कि हमारे कलाम साहब थे. वो अपने एम्प्लॉई को उसके काम में डिस्टर्ब नहीं करना चाहते थे इसलिए खुद ही बच्चों को घूमाने ले गए.
कलाम भले ही देश की सर्वोच्च संवैधानिक कुर्सी पर विराजमान रहे, लेकिन उन्होंने अपना पूरा जीवन सादगी के साथ जीया, यही उनकी सबसे बड़ी खासियत थी.
अब्दुल कलाम से जुड़ा यह किस्सा उस वक्त का है, जब राष्ट्रपति बनने के बाद वे पहली बार केरल गए थे. वहां राजभवन में उसने मिलने वाले पहला मेहमान कोई नेता या अधिकारी नहीं बल्कि सड़क पर बैठने वाला मोची था. दरअसल, एक वैज्ञानिक के तौर पर कलाम ने त्रिवेंद्रम में काफी समय बिताया था. इस मोची ने कई बार उनके जूते सिले थे. राष्ट्रपति बनने के बाद भी कलाम उस मोची को नहीं भूले यही उनकी सादगी और यही उनकी खासियत थी.
विनम्र श्रद्धांजलि आदरणीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम साहब