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26 May 2017 · 1 min read

जन्मदिन

ये जन्मदिन है विस्तृत,
कोई संकुचित नही,
मन में जिसके कोई दुःख
फिर भी दया व प्यार बिखेरता
वो सर्वव्यापी उद्धारकर्ता
हुआ था जन्म जिसका आज
अमन-शांति की
सीख देकर जो,
रचता रहता नव-संसार।
शब्दो मे जिसके
घुली है सरलता
वाणी से जिंसके
निकलती है मधुरता,
ह्रदय मे जिसके बसता है
अनंत प्रेम
मन है जिसका है
मृदु कोमल
हृदय में जिसके
बसती हैं मृदुलता अपार
जन्म लिया है उसने
देने जग को उपहार,
खुद पीड़ा मे रहकर भी
हरता औरों के दुख,
कष्टों को समेट स्वय में
करता रहता परोपकार
जनम लिया है उसी
परम ने उन्हें सादर प्रणाम

Language: Hindi
447 Views

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