जन्मजात जो है गरीब तो क्या?
नींद न लो कुछ काम करो,
पथिक हो बस विश्राम करो।
ईश्वर भेजा कर्म बोझ देकर,
धन्यवाद दो और प्रणाम करो।।
सोने या आराम का भाग्य नही,
पर शक्ति ऊर्जा मिली अपार कहीं।
तेरे खातिर पूरी धरती अम्बर एक सा,
ईश्वर ने हाथों में लेली तेरी खाता बही।।
तू कर्म अपना धर्म बनाले यहां,
समाज को रहने दे वो पड़ा जहां।
ईश्वर का चयनित बंदा तू माख न कर,
तेरे कर्मो के पीछे भागेंगे सब ये पदचर।।
जय हिंद