जन्नत
यह कहानी बहुत ही छोटी सी है और बहुत ही प्रेरणादायक और प्रेरित करने वाली है। यह कहानी एक छोटी सी बस्ती की है, जहां पर एक बच्चा समय के अनुसार जब उम्र में बड़ा होता है तो घर में कहीं गई कुछ बातों पर ज्यादा ध्यान देता है और सोचता है। उसी तरह से एक दिन वह अपने घर में खाने पर बैठा रहता है तो उनके अब्बू होते हैं। उस अब्बू से पूछता है कि अब्बू यह जन्नत क्या होती है? और कहां है? तो उसके अब्बू बताते हैं कि यह जन्नत अल्लाह ताला के पास होती है और जन्नत जो जाता है उन्हें 72 हूरों की सेवाएं प्राप्त होती है। बहुत शानो शौकत वाली जगह होती है। किसी भी प्रकार की कोई दुख नहीं होता है। वहां का वह राजा होता है। वह 72 हूरों की मालिक होता है। 72 हूरे उनकी सेवाएं करती है। बहुत आनंददायक जगह होता है। उस बच्चे की मन में कुछ अजीब सा लगा कि भाई यह 72 हूरे क्या चीज है? और इतनी अच्छी जगह है जन्नत। उसमें भी 72 हूरों की सेवाएं तो फिर हम यहां क्या कर रहे हैं? वह अपने मन ही मन सवाल कर रहा था। फिर वह 72 हूरों के बारे में पूछना चाहा पर इनको कुछ गलत लगा जिसकी वजह से वह सोचा कि अब्बू है, अब्बू से इसके बारे में कैसे पूछ सकते हैं? इस बात को सोचकर वह अब्बू से नहीं पूछा। कल होकर के जब वह बच्चा अपने मदरसे में पढ़ने के लिए गया है तो अपने मौलवी साहब से पूछ लिया की जन्नत क्या है? कहां है? फिर मौलवी साहब भी वही जवाब दिए जो अब्बू ने दिया था। अब यहां पर बच्चा मौलवी साहब से पूछता है कि यह 72 हूरे कौन सी चीज है? मौलवी साहब ने बताया कि 72 हूरे जो हैं ये औरत हैं जो आपकी दिन रात सेवा में लगी रहती हैं। आप जिसके साथ चाहो सो कर सकते हो। जिससे जो सेवाएं प्राप्त करना चाहते हो वो कर सकते हो। तो बच्चा ने कहा मतलब कि 72 हूरे का मतलब हुआ कि एक मर्द के साथ 72 औरतें रहती हैं उनकी सेवा करने के लिए। इस पर मौलवी साहब ने हामी भरते हुए कहा हां-हां सही समझा। तो फिर उसने पूछा कि आखिर ये है कहां? तो वही जवाब मिला कि अल्लाह ताला के पास है। तो उसने पूछा कि यह कैसे मिलेगा? तो उन्होंने बताया कि जब इंसान इस दुनिया को छोड़ जाता है। तो उसे अगर हम जमीन में क़ब्र खोद करके दफना देते हैं तो उन्हें जन्नत मिलती है और उस जन्नत में 72 हूरों की सेवाएं प्राप्त होती है। बहुत ही आनंदमई जीवन बितती है।
यही सोच-सोच कर बच्चा और बड़ा होता जा रहा था। एक दिन हुआ कि उसके अब्बू के पिताजी का देहांत हो गया और उनके पिताजी को दफना दिया गया। अब इस बच्चे के मन में तो सवाल चल रही थी कि अब्बू के पिताजी दफनाए गए हैं और वही से जन्नत मिलती है। उस जन्नत में 72 हूरों की सेवाएं प्राप्त होती है। तो देखना है हमें कि यह 72 हूरे कैसी होती है? और जन्नत कैसी होती है? इस बातों को लेकर वह दिन प्रतिदिन सोच रहा था कि कब हम इस जन्नत को देख पाऊंगा? उस 72 हूरों की सेवाएं को देख पाऊंगा? इसके बारे में सोचते-सोचते कुछ दिन समय बिता तो उसने अपने दादाजी को दफनाए गए स्थान पर कुछ चिह्नित करके जो रखा था। उस चिह्नित स्थान पर घर के लोगों को बिना बताए चुपके से गया और उस कब्र को खोदने लगा। खोदने के बाद जब अंत में देखा तो उन्हें एक कंकाल मिली। उस कंकाल में जन्नत जैसी कुछ चीजें नहीं दिखीं और नहीं 72 हूरों वाली कोई सेवाएं। बच्चा आश्चर्य में पड़ गया। सोचने पर मजबूर हो गया और वह सोचने लगा कि भाई जन्नत कहां गया? यह 72 हूरों की सेवाएं कहां गई? पर कुछ देर के बाद जब ध्यान से उसके अंदर देखा तो उन्हें एक चीज दिखाई दिया। कि जन्नत तो नहीं दिखी और नहीं 72 हूरों की सेवाएं दिख रही हैं। पर इस कंकाल में 72 हड्डियां जरूर दिख रही हैं।
अब इस पर वह चुपचाप घर गया और जैसे साधारण तरीके से प्रतिदिन पढ़ने आता जाता था वैसे ही आता जाता रहता था। एक दिन अचानक इनके अब्बू किसी और को समझा रहे थे कि देखो बाबू, ऐसे-ऐसे करोगे तो जन्नत प्राप्त होगी, 72 हूरों की सेवाएं प्राप्त होगी। इस पर इसके मन में खटका क्योंकि यह तो बात पहले से खटक रही थी। यह अपने दादाजी का पूरा कंकाल देखा था तो बच्चा ने कहा पिताजी मानव जीवन में रह करके आप क्या कर रहे हैं? उसके अब्बू आश्चर्य भरी नजरों से देखने लगे। फिर बच्चा बोलता है कि काहे नहीं आप जन्नत चले जाते हैं। इस संघर्ष वाली जीवन में जीते है, दौड़-धूप करते है। उससे अच्छा आपको जन्नत चले जाना चाहिए। आप जन्नत चले जाए इससे बड़ा सौभाग्य मेरे लिए क्या हो सकता है? मैं भी गर्व से कहूंगा कि मेरे अब्बू जन्नत में निवास करते है। तो काहे नहीं आप जन्नत जाने की तैयारी कर लें और हम आप को जन्नत पहुंचा दें। इस पर उसका दिमाग खटका और समझ गया कि बेटा को अब कुछ ना कुछ हो गया है। अब वहां से, उस दिन से उसकी अब्बू की सारे शुद्धि-बुद्धि बंद हो गई और फिर उस दिन से कभी नहीं किसी से कहा कि मरने के बाद जन्नत मिलती है और 72 हूरों की सेवाएं।
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लेखक : जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार