{{ जन्नत लिख दिया }}
हर कदम पे ,मेरे इन्तेहान लिख दिया ,
मुझको हालात ने, बेज़ुबा लिख दिया ,,
दुश्मनों से मिल गए , मेरे दोस्त सब ,
तुमने जबसे मुझे , जाने जा लिख दिया,,
मैंने टूटे हुए , घर की दीवार पर ,
जाने क्या सोचा, और जन्नत लिख दिया ,,
मैंने रिस्ता कई बार , पूछा था तुमसे मगर ,
तुमने मिट्टी पे क्यों, आस्मां लिख दिया ,,
खत रकीबों के भी , हमको अब मिलने लगे ,
तुमने मोहब्बत का हर्फ ,भी कहा लिख दिया ,,
पूछी थी ख़ुदा ने मुझसे, मेरी आखरी रज़ा ,
मैंने तुम्हें देखा , और तेरा नाम लिख दिया ,,