जनाजा
उठ रहा जनाजा तब खामोश होंगे लोग
कुछ अच्छा किया होगा
तभी तो रो रहे होंगे लोग!!
हो जाऊंगा सुप्रदे खाक
तब भी बतिया रहे होंगे लोग!!
कुछ तो बात रही होगी हममें
तभी तो फुस फुसा रहे हैं यह लोग!!
दो चार फूल चढ़ा रहे हैं
जनाजे और कब्र पर मेरी
तब भी आंखों से आंसू बहा रहे होंगे ये लोग!!
मुकम्मल हो गई मेरी बातें
यह सोच कर रोते जा रहे हैं ये लोग!!
कुछ तो बात रही होगी रोते जा रहे हैं ये लोग………
लेखक:- उमेश बैरवा