Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2023 · 1 min read

*जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है (गीत)*

जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है (गीत)
—————————————-
जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है
1)
धन्य-धन्य वे लोग समर्पित, की शिक्षा को काया
विद्यालय के लिए जिन्होंने, सौंपी अपनी माया
दृढ़ निश्चयी चले पथ पर, शिक्षा की अलख जगाने
दूर-दूर तक साक्षरता के, महा लक्ष्य को पाने
विद्यालय की आकृति जिनके, श्रम का शुभ आयाम है
2)
मन जिनका शुभ गंगा जैसे, स्वर्ग लोक से आई
खोली शिव ने जहॉं जटाऍं, गंगा जहॉं समाई
शुरू हुई लेकर शुचिता को, भागीरथ-सी यात्रा
करती गई धरा को पावन, विद्या की शुचि मात्रा
विद्यालय का भवन बना ज्यों, निर्मल गंगा-धाम है
3)
खोली निजी तिजोरी, विद्यालय की भूमि खरीदी
निजी संपदा जनहित अर्पण, की विधि थी यह सीधी
विद्यालय के लिए शुरू यह, परहित की शुरुआतें
अपने सुख से बढ़कर, औरों को सुख की सौगातें
सॉंस-सॉंस शिक्षा प्रेमी की, विद्यालय के नाम है
4)
कक्ष बनाए विद्यालय में, बच्चे जिनमें पढ़ते
रचा शुभ्र परिवेश सुपावन, भावों को जो गढ़ते
जहॉं देवताओं के जैसे, शिक्षक पूजे जाते
जहॉं तीव्र अनुशासन के स्वर, मर्यादा में आते
धन्य-धन्य पद-चिह्न अकलुषित, सेवा का आयाम है
5)
धन्य-धन्य जीवन सार्थक, सेवा में गया बिताया
विद्यालय का सृजन राष्ट्रहित, उत्तम ध्येय बताया
यह है सेवा-क्षेत्र यहॉं, सेवा-व्रत सदा निभाया
विद्यालय को नील गगन में, तारों-सा चमकाया
अनगिन दीप जले जब सुंदर, उजियारा परिणाम है
जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है
————————————
रचयिता रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

161 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
धीरज और संयम
धीरज और संयम
ओंकार मिश्र
चिंगारी के गर्भ में,
चिंगारी के गर्भ में,
sushil sarna
#मानवता का गिरता स्तर
#मानवता का गिरता स्तर
Radheshyam Khatik
मेरा अभिमान
मेरा अभिमान
Aman Sinha
अर्थार्जन का सुखद संयोग
अर्थार्जन का सुखद संयोग
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
शहीदों को नमन
शहीदों को नमन
Dinesh Kumar Gangwar
श्याम बाबा भजन अरविंद भारद्वाज
श्याम बाबा भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
*** हमसफ़र....!!! ***
*** हमसफ़र....!!! ***
VEDANTA PATEL
* तुगलकी फरमान*
* तुगलकी फरमान*
Dushyant Kumar
महापुरुषों की मूर्तियां बनाना व पुजना उतना जरुरी नहीं है,
महापुरुषों की मूर्तियां बनाना व पुजना उतना जरुरी नहीं है,
शेखर सिंह
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
Subhash Singhai
Disagreement
Disagreement
AJAY AMITABH SUMAN
..
..
*प्रणय*
अफ़सोस इतना गहरा नहीं
अफ़सोस इतना गहरा नहीं
हिमांशु Kulshrestha
वह कहते हैं, बच कर रहिए नज़र लग जाएगी,
वह कहते हैं, बच कर रहिए नज़र लग जाएगी,
Anand Kumar
हर क्षण  आनंद की परम अनुभूतियों से गुजर रहा हूँ।
हर क्षण आनंद की परम अनुभूतियों से गुजर रहा हूँ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कहां खो गए
कहां खो गए
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
" करवा चौथ वाली मेहंदी "
Dr Meenu Poonia
कभी कभी ज़िंदगी में जैसे आप देखना चाहते आप इंसान को वैसे हीं
कभी कभी ज़िंदगी में जैसे आप देखना चाहते आप इंसान को वैसे हीं
पूर्वार्थ
पहले नदियां थी , तालाब और पोखरें थी । हमें लगा पानी और पेड़
पहले नदियां थी , तालाब और पोखरें थी । हमें लगा पानी और पेड़
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जिस भी समाज में भीष्म को निशस्त्र करने के लिए शकुनियों का प्
जिस भी समाज में भीष्म को निशस्त्र करने के लिए शकुनियों का प्
Sanjay ' शून्य'
यह शहर पत्थर दिलों का
यह शहर पत्थर दिलों का
VINOD CHAUHAN
जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
Rj Anand Prajapati
हर इक रंग बस प्यास बनकर आती है,
हर इक रंग बस प्यास बनकर आती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आया बाढ़ पहाड़ पे🙏
आया बाढ़ पहाड़ पे🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
लालबाग मैदान
लालबाग मैदान
Dr. Kishan tandon kranti
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
4667.*पूर्णिका*
4667.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आओ मिलकर नया साल मनाये*
आओ मिलकर नया साल मनाये*
Naushaba Suriya
अब हम उनके करीब से निकल जाते हैं
अब हम उनके करीब से निकल जाते हैं
शिव प्रताप लोधी
Loading...