जनसंख्या में अव्वल भारत
लो हो गए हम विश्व में सबसे आगे जनसंख्या में। तोड़ दिए हमने रिकॉर्ड विश्व के सारे जनसंख्या में। बन गए हम विश्व के अग्रणी जनसंख्या में। हमारे दुश्मन देश चीन को भी हमने छोड़ दिया पीछे जनसंख्या में। थपथपा लो अपनी पीठ क्योंकि हम अव्वल आ गए हैं अब जनसंख्या में। सुना है हम आजादी के समय 34 करोड थे। तब हमारा भूभाग कितना था जरा इस पर भी विचार किया जाए। चाइना को हजारों वर्गकिलोमीटर लद्दाख क्षेत्र दे दिया। भूभाग कम कर लिया जनसंख्या बढ़ा ली। और कम पड़ रही थी तो घुसपैठियों को भी घुसा लिए क्योंकि हमारे लिए तो घुसपैठिए भी शरणार्थी बन जाते हैं। बांग्लादेशी हो या रोहिंग्या हो यह सब हमारे ही तो है क्यों? है न। हमने तो शरण देने का ठेका ले रखा है? चाहे अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए जगह भी ना बचे उसकी हमें कोई फिक्र नहीं है। हमें तो अपना वोट बैंक बढ़ाना है फिर चाहे देश में रहने के लिए जगह बचे या ना बचे। आजादी के बाद 4 गुना बढ़ गए। इतनी जनसंख्या का पेट भरने के लिए 10 गुना पेड़ काटे लाखों किलोमीटर सड़कों का विकास किया लाखों वर्ग किलोमीटर में उद्योग स्थापित किया गया। कृषि भूमि का विस्तार किया गया इसके लिए पहाड़ों को खोदा गया। नदियों को रोका गया। जमीन को खोदा आ गया। प्रकृति पर और कितना दबाव डालोगे। कहीं ऐसा ना हो कि जनसंख्या का बोझ ढोते -ढोते । प्रकृति भी अपने घुटने ना टेक दे। वैसे यह केवल भारत की ही समस्या नहीं है। यह एक वैश्विक समस्या है। जिस पर पूरे विश्व को विचार करना होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं बढ़ती जनसंख्या के दबाव से धरती अपना संतुलन खो दें और मानव जाति पर उसका कहर बरपने लगे। वैसे लक्षण तो अब दिखाई देने लगे हैं मौसम का संतुलन बिगड़ रहा है गर्मी में वर्षा हो रही है और सर्दी के मौसम में गर्मी। ध्रुव प्रदेशों की बर्फ तेजी से पिघल रही है। जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। धरती का औसत तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है जो विनाश का संकेत दे रहा है कल कितना तापमान बढ़ेगा पहले गर्मी से तबाही मचाएगा है और फिर बरसात से तबाही मचाएगा उसके बाद सर्दी से अर्थात अधिक गर्मी अधिक वर्षा और अधिक सर्दी जिससे बाढ़ भूस्खलन तथा सूखे की स्थिति का निर्माण होता है इन सभी घटनाओं का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से एक ही महत्वपूर्ण कारण है और वह है बढ़ती जनसंख्या।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’