जनवासा अब है कहाँ,अब है कहाँ बरात (कुंडलिया)
जनवासा अब है कहाँ,अब है कहाँ बरात (कुंडलिया)
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जनवासा अब है कहाँ,अब है कहाँ बरात
कब नखरे कब रूठना ,नाराजी की बात
नाराजी की बात , बराती नखरे करता
लड़की का था बाप, हाथ को जोड़े डरता
कहते रवि कविराय,झमेला अच्छा-खासा
रूकती जहाँ बरात,धर्मशाला जनवासा
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451